क्या भगवान् के स्वरूप को पहचानना संभव है?

By ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya

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1 Hours 30 Minutes

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Hindi

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ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya

ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya aims to provide a facility for its members to study, practice, and disseminate the teachings of Srimad Bhagavatam, along with the writings of the Gaudiya Vaisnava acaryas and the branches of Vedic philosophy, culture, music and science in the context of Srila Prabhupada’s teachings. ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya is located in Sri Govardhan dhama to systematically propagate the teachings of Śrīmad-Bhāgavatam and Caitanya-caritāmṛta to the society at large.

To accomplish the above mission, ISKCON Bhagavata Mahavidyalaya will facilitate philosophical training for adult residential and non-residential students through the traditional Vedic educational methods. ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya has been inspired by the service and efforts of His Grace Gopiparanadhana Prabhu and His Holiness Gaur Krishna Gosvami Maharaja. Their dedication toward the study and the dissemination of the teachings of Srimad Bhagavatam is the torchlight guiding us forward to serve this mission.

Course Overview

पाठ्यक्रम शीर्षक: 

 श्लोक 16 क्या भगवान् के स्वरूप को पहचानना संभव है?

पाठ्यक्रम विवरण:

इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य Ishopanishad के श्लोक 16 के माध्यम से भगवान के स्वरूप को पहचानने की संभावना को समझना है। यह कोर्स भगवान के स्वरूप की पहचान के मार्ग, उसके महत्व, और इसके साधनों पर प्रकाश डालेगा।

पाठ्यक्रम सामग्री:

  1. भगवान के स्वरूप की पहचान का परिचय:
    • शास्त्रों में भगवान के स्वरूप की पहचान के संबंध में उल्लेख।
    • भगवान के स्वरूप की पहचान क्यों महत्वपूर्ण है?
  2. भगवान के नाम और उनके अर्थ:
    • भगवान के विभिन्न नाम और उनका प्रतीकात्मक महत्व।
    • भगवान के नामों के माध्यम से उनके स्वरूप की पहचान।
  3. भगवान के रूप और उनके गुण:
    • भगवान के विभिन्न रूप और उनके गुण।
    • गुणों के माध्यम से भगवान के स्वरूप की पहचान।
  4. भक्ति और साधना के माध्यम से पहचान:
    • भक्ति और साधना के माध्यम से भगवान को पहचानने के उपाय।
    • ध्यान और पूजा का महत्व।
  5. प्रमाणित गुरु का मार्गदर्शन:
    • प्रमाणित गुरु से भगवान के स्वरूप की सही पहचान कैसे प्राप्त करें।
    • गुरु-शिष्य परंपरा और इसके महत्व।
  6. व्यक्तिगत अनुभव और साक्षात्कार:
    • भगवान के स्वरूप को पहचानने के व्यक्तिगत अनुभव।
    • साधना और अनुभवों की साझा कहानियाँ।

लक्ष्य श्रोता:

  • आध्यात्मिक साधक
  • वेदांत और उपनिषद में रुचि रखने वाले लोग
  • भक्ति मार्ग में अग्रसर व्यक्ति
  • योग और ध्यान के अभ्यासकर्ता
  • छात्र और शिक्षक जो भारतीय दर्शन में रुचि रखते हैं

पाठ्यक्रम की आवश्यकता:

  • भगवान के स्वरूप की पहचान के बिना भक्ति और साधना में गहराई नहीं आ पाती।
  • प्रमाणित गुरु के मार्गदर्शन में भगवान के सही स्वरूप की पहचान करना महत्वपूर्ण है।
  • भगवान के स्वरूप की पहचान से जीवन में आध्यात्मिक विकास और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

कोर्स से प्रतिभागियों को क्या मिलेगा?

  • भगवान के स्वरूप की पहचान के लिए सही मार्गदर्शन।
  • शास्त्रों और गुरु से प्राप्त ज्ञान के माध्यम से भगवान की सही पहचान।
  • भक्ति और साधना के माध्यम से भगवान के दिव्य गुणों और लीलाओं की पहचान।
  • भगवान के स्वरूप की पहचान के माध्यम से आंतरिक शांति और संतोष।

क्यों करना चाहिए यह कोर्स?

  • भगवान के स्वरूप की सही पहचान से भक्ति और साधना में गहराई आती है।
  • प्रमाणित गुरु के माध्यम से भगवान की सही पहचान प्राप्त करने का महत्व।
  • भगवान के दिव्य गुणों और लीलाओं को समझकर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना।

हम इस पाठ्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों की कौन-कौन सी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं?

  • भगवान के स्वरूप की पहचान में अस्पष्टता और भ्रम का समाधान।
  • भक्ति और साधना में दिशा और मार्गदर्शन का अभाव।
  • भगवान के दिव्य गुणों और लीलाओं को पहचानने की कठिनाई।
  • आध्यात्मिक साधना में गहराई और अनुभव की कमी।

Course Content

Frequently Asked Questions

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