माधुर्य कादम्बिनी

By ISKCON BHAGAVATA MAHAVIDYALAYA

Certificate Course

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Course Duration

8 Hours

Videos

90 Minutes

No. Of Sessions

5

Sessions per week

At your own pace

Language
Hindi

Eligibility

Anyone

Schedule of Classes

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Starts on
-

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About the Teacher

teacher

ISKCON BHAGAVATA MAHAVIDYALAYA

ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya aims to provide a facility for its members to study, practice, and disseminate the teachings of Srimad Bhagavatam, along with the writings of the Gaudiya Vaisnava acaryas and the branches of Vedic philosophy, culture, music and science in the context of Srila Prabhupada’s teachings.

ISKCON Bhagavat Mahavidyalaya has been inspired by the service and efforts of His Grace Gopiparanadhana Prabhu and His Holiness Gaur Krishna Gosvami Maharaja. Their dedication toward the study and the dissemination of the teachings of Srimad Bhagavatam is the torchlight guiding us forward to serve this mission.

Course Overview

पाठ्यक्रम विवरण:

माधुर्य कादम्बिनीश्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर की कृति हैजो महान गौड़ीय वैष्णव आचार्यों में से एक हैं। यह उन स्तरों का विश्लेषण प्रदान करता है जिनके माध्यम से एक अभ्यास करनेवाला भक्ति-योगी प्रगति करता है। प्रत्येक स्तर के लक्षण और बाधाएं भी इसमें वर्णित की गई हैं। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य आध्यात्मिक यात्रा के नौ स्तरों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करना हैश्रद्धा से प्रेम तकया प्रारंभिक विश्वास जिसके साथ एक अभ्यासक आध्यात्मिक बोध के उच्चतम स्तर - भगवत्प्रेम की प्राप्ति के लिए अपनी यात्रा प्रारम्भ करता है। माधुर्य कादम्बिनी हमारे आध्यात्मिक जीवन में सामान्य और अधिक विशिष्ट बाधाओं को दूर करने के बारे में बहुत सारी जानकारी प्रदान करती है ताकि हमें प्रोत्साहित किया जा सके कि आनेवाली कोई भी बाधा आध्यात्मिक तकनीकों से अधिक मजबूत नहीं है!

पाठ्यक्रम सामग्री:

श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा चैतन्य चरितामृतमध्य-लीला में भक्ति-योग के नौ स्तरों का वर्णन इस प्रकार किया गया है: "प्रारम्भ में विश्वास होना चाहिए। तब व्यक्ति शुद्ध भक्तों के साथ जुड़ने में रुचि रखता है। तत्पश्चात आध्यात्मिक गुरु द्वारा दीक्षा दी जाती है और उनके आदेशों के तहत नियामक सिद्धांतों को क्रियान्वित किया जाता है। इस प्रकार सभी अवांछित आदतों से मुक्त हो जाता है और अंततः भक्तिमय सेवा में स्थिर हो जाता है। इसके बादव्यक्ति में रुचि और आसक्ति का विकास होता है। यह साधना-भक्ति की विधा हैनियामक सिद्धांतों के अनुसार भक्ति सेवा का निष्पादन। धीरे-धीरे भावनाएं तीव्र होती हैंऔर अंत में प्रेम जागृत होता है। यह कृष्ण भावनामृत में रुचि रखने वाले भक्त के लिए भगवत्प्रेम का क्रमिक विकास है।"

  1. श्रद्धा
  2. साधु-संग
  3. भजन-क्रिया
  4. अनर्थ निवृत्ति
  5. निष्ठा
  6. रुचि
  7. आसक्ति 
  8. भाव
  9. प्रेम

लक्षित श्रोतागण: 

जो कोई भी 16 माला जप कर रहा है।

आकलन पद्धति: 

ऑनलाइन परीक्षा

इस पाठ्यक्रम से छात्रों को क्या लाभ होगा?

  1. भक्ति में वृद्धि
  2. भक्ति का स्पष्ट मार्ग।
  3. स्वयं के स्तर की स्पष्टता
  4. नामजप का उद्देश्य
  5. बेहतर जप की स्थिति

इस पाठ्यक्रम में क्यों भाग लेना चाहिए?

कृष्ण के प्रति प्रेम की वृद्धि के लिए...

हम पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्रों की किन समस्याओं का समाधान कर रहे हैं?

  1. मन का तनाव
  2. भक्ति में एकाग्रता
  3. माया और द्वंद्व से निपटना
  4. आत्म विश्लेषण

Course Content

Frequently Asked Questions

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