Course Duration
38 Hours
38 Hours
Videos
2 Hours/ Session
2 Hours/ Session
No. Of Sessions
19
19
Sessions per week
1
1
Language
Hindi
Eligibility
Anyone
Anyone
Schedule of Classes
Starts on
-
7 PM - 9 PM IST
Regular classes onWednesday
About the Teacher
Antaryami Radhapati Das
About the Teacher
अंतर्यामी राधापति प्रभुजी एक प्रतिष्ठित विद्वान हैं, जिनकी शैक्षणिक उपलब्धियाँ और ज्ञान-प्रदर्शन की गहन प्रतिबद्धता उन्हें विशेष बनाती हैं। उन्होंने संस्कृत विषय में अपनी स्नातकोत्तर डिग्री दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से प्राप्त की है। यह उपलब्धि न केवल संस्कृत के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाती है, बल्कि उनके शैक्षणिक उत्कर्ष के प्रति समर्पण को भी प्रमाणित करती है। अंतर्यामी राधापति प्रभुजी निःसंदेह संस्कृत जैसी प्राचीन और दिव्य भाषा के सच्चे आचार्य हैं।
इसके अतिरिक्त, प्रभुजी ने दो वर्षों तक गुरुकुल में अध्यापन सेवा प्रदान की है, जो उनके व्यावहारिक अनुभव को दर्शाता है। यह अनुभव न केवल उन्हें कुशल शिक्षण पद्धतियों से सम्पन्न करता है, बल्कि उन्हें संस्कृत के गूढ़ और सूक्ष्म तत्वों को सरलता से विद्यार्थियों तक पहुँचाने में भी सक्षम बनाता है। उनकी यह शिक्षण-यात्रा और शैक्षणिक योगदान हमारे सांस्कृतिक एवं भाषिक विरासत के संरक्षण तथा प्रसार की दिशा में एक अनुकरणीय प्रयास है।
Course Overview
पाठ्यक्रम विवरण:
यह एक 19 सप्ताह का पाठ्यक्रम होगा, जिसमें 18 अध्याय शामिल हैं और जीवन में व्यावहारिक रूप से इन सिद्धांतों को लागू करने के तरीके बताए जाएंगे।
पाठ्यक्रम सामग्री:
कुल 19 पॉवरपॉइंट स्लाइड्स प्रदान की जाएंगी।
आकलन पद्धति:
प्रत्येक अध्याय के बाद एक क्विज़ (Quiz) लिया जाएगा।
पाठ्यक्रम की आवश्यकता और महत्त्व:
- एकाग्रता और अनुशासन की कमी
- तनाव, चिंता और प्रदर्शन का दबाव
- सफलता और असफलता में समानता बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
- उद्देश्य की कमी और प्रेरणाहीनता
- आत्म-संदेह और पहचान का भ्रम
- भावनात्मक अस्थिरता और साथियों का दबाव
- निर्णय लेने में असमर्थता
- नैतिक मूल्यों में गिरावट
पाठ्यक्रम से छात्रों को क्या लाभ होगा:
- दबाव की स्थिति में मानसिक स्थिरता
- उद्देश्यपूर्ण जीवन दृष्टि
- आत्म-चेतना और आत्म-विश्वास
- अनुशासन और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता
- भावनात्मक संतुलन और समझ
- नैतिक नेतृत्व और जिम्मेदारी
- महत्वपूर्ण दिशानिर्देश
- नियमित उपस्थिति अनिवार्य है।
- पाठ्यक्रम के दौरान पूर्ण सक्रियता अपेक्षित है।
इस पाठ्यक्रम में क्यों भाग लें:
- आधुनिक जीवन के लिए शाश्वत ज्ञान
- निर्णय लेने में स्पष्टता
- मानसिक शांति और सहनशीलता
- व्यक्तिगत विकास और आत्म-संयम
- फोकस और उत्पादकता में वृद्धि
- सार्वभौमिक आध्यात्मिक शिक्षाएँ
- समूह में संवाद और सीखने का अवसर
- जीवन भर उपयोगी